तेरी यादों के सिवा कोई लम्हा गुज़ारा नहीं,
एक पल नहीं जब तुम्हें मेरे दिल ने पुकारा नहीं।
तेरे बिन यूँ कट रही दरिया-ऐ-जिंदगी में,
कश्ती भी है, माझी भी है, पर किनारा नहीं।
इंसानों के कन्धों पे इंसान जा रहा हैं,
कफ़न में लिपटे कुछ अरमान जा रहा है।
जिन्हें नही मिली मोहब्बत इस दुनिया में,
मोहब्बत पाने वो कब्रिस्तान जा रहा है।
क्यों रात-दिन रोते हो उसके लिए,
जो न था तुम्हारा एक पल के लिए।
अश्कों से कहो, अब थम भी जाएँ,
एक पल नहीं जब तुम्हें मेरे दिल ने पुकारा नहीं।
तेरे बिन यूँ कट रही दरिया-ऐ-जिंदगी में,
कश्ती भी है, माझी भी है, पर किनारा नहीं।
इंसानों के कन्धों पे इंसान जा रहा हैं,
कफ़न में लिपटे कुछ अरमान जा रहा है।
जिन्हें नही मिली मोहब्बत इस दुनिया में,
मोहब्बत पाने वो कब्रिस्तान जा रहा है।
क्यों रात-दिन रोते हो उसके लिए,
जो न था तुम्हारा एक पल के लिए।
अश्कों से कहो, अब थम भी जाएँ,
मैं हूँ तुम्हारा, तुम्हे जीना है मेरे लिए।
3 Comments:
भाव पूर्ण रचना. बहुत ही सुंदर abhivyakti. जारी रहें.
बहुत सुन्दर व भावभीनीं रचना है।
इंसानों के कन्धों पे इंसान जा रहा हैं,
कफ़न में लिपटे कुछ अरमान जा रहा है।
जिन्हें नही मिली मोहब्बत इस दुनिया में,
मोहब्बत पाने वो कब्रिस्तान जा रहा है।
क्यों रात-दिन रोते हो उसके लिए,
जो न था तुम्हारा एक पल के लिए।
अश्कों से कहो, अब थम भी जाएँ,
मैं हूँ तुम्हारा, तुम्हे जीना है मेरे लिए।
जीवन की सचाई बयां कर दी है इन शब्दों में
बेहतरीन लाइने, मज़ा आ गया पढ़ कर
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