आज (1st Dec.) पूरी दुनिया में विश्व एडस दिवस मनाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने इस मौके पर देशों से अपील की है कि वे बचाव और इलाज के लिए किये गए वादों को पूरा करे. इस समय तीन करोड़ तीस लाख लोग एचआईवी पॉसिटिव हैं जिससे एड्स की बीमारी होती है.
Acquired Immune Deficiency Syndrome (AIDS) यानि उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण Human Immunodeficiency Virus (HIV) यानि मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण स्वयं कोई बीमारी नही है पर उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि HIV विषाणु रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्र्म्ण करता है। AIDS पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमण को उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक संलक्षणों के बिना रह सकते हैं।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यान के ये एक महामार है। उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं - यौन द्वारा, रक्त द्वारा तथा माँ-शिशु संक्रमण द्वारा। राष्ट्रीय उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण नियंत्रण कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्रसंघ उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण दोनों ही यह मानते हैं कि भारत में ८० से ८५ प्रतिशत संक्रमण असुरक्षित विषमलिंगी/विषमलैंगिक यौन संबंधों से फैल रहा है। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला। अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं। १९८१ में उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण की खोज से अब तक इससे लगभग २ १/२ करोड़ लोग जान गंवा बैठे हैं।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण इन में से किसी भी कारण से फैल सकता है:
गुदा,योनिक या मौखिक मैथुन [वीर्य, योनिक द्रव्य या प्रतिवीर्यक द्रव्य द्वारा]
रक्त संक्रामण
स्तनपान कराना [माता से शीशु मे]
संदूषित अधस्तवक पिचकारीया
दुनिया भर में इस समय लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु का शिकार हैं। इनमें से दो तिहाई सहारा से लगे अफ़्रीकी देशों में रहते हैं और उस क्षेत्र में भी जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज़्यादा है। वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है। दुनिया भर में लगभग 14,000 लोगों के प्रतिदिन इसका शिकार होने के साथ ही यह डर बन गया है कि ये बहुत जल्दी ही एशिया को भी पूरी तरह चपेट में ले लेगा।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण से कैसे बचें -
जब तक कारगर इलाज खोजा नहीं जाता, उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण से बचना ही उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण का सर्वोत्तम उपचार है।
अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें। एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध ना रखें।
यौन संबंध(मैथुन) के समय शिश्वावेष्टन गर्भ निरोधक् का सदैव प्रयोग करें।
यदि आप मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमित या उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण ग्रसित हैं तो अपने जीवनसाथी से इस बात का खुलासा अवश्य करें। बात छुपाये रखनें तथा इसी स्थिती में यौन संबंध जारी रखनें से आपका साथी भी संक्रमित हो सकता है और आपकी संतान पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
यदि आप मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमित या उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी ना करें।
रक्त ग्रहण करने से पेहले रक्त का मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु परीक्षण कराने पर ज़ोर दें।
यदि आप को मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमण होने का संदेह हो तो तुरंत अपना मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु परीक्षण करा लें। उल्लेखनीय है कि अक्सर मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु के कीटाणु, संक्रमण होने के 3 से 6 महीनों बाद भी, मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु परीक्षण द्वारा पता नहीं लगाये जा पाते। अतः तीसरे और छठे महीने के बाद मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु परीक्षण अवश्य दोहरायें।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण इन कारणों से नहीं फैलता -
मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमित या उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाने से
मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमित या उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने से या उनके साथ खाना खाने से।
एक ही बर्तन या रसोई में स्वस्थ और मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के खाना बनाने से।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के लक्षण –
अक्सर मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के कोई लक्षण नहीं दिखते। दीर्घ समय तक ( 3, 6 महीने या अधिक ) तक मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु भी औषधिक परीक्षा में नहीं उभरते। अधिकांशतः उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के मरीज़ों को ज़ुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण होने की पहचान नहीं होती। उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के कुछ प्रारम्भिक लक्षण हैं:
बुखार
सिरदर्द
थकान
हैजा
मतली व भोजन से अरुचि
लसीकाओं में सूजन
ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। अतः उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण की निश्चित रूप से पहचान केवल, और केवल, औषधीय परीक्षण से ही की जा सकती है व की जानी चाहिये।
प्रगत अवस्था में उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के लक्षण –
तेज़ी से अत्याधिक वजन घटना
सूखी खांसी
लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक/असाधारण मात्रा में पसीने छूटना
जंघाना, कक्षे और गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसिकायें
एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना। लम्बे समय तक गंभीर हैजा।
फुफ्फुस प्रदाह
चमड़ी के नीचे, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे।
निरंतर भुलक्कड़पन, लम्बे समय तक उदासी और अन्य मानसिक रोगों के लक्षण।
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण रोग का इलाज –
औषधी विज्ञान में उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के इलाज पर निरंतर संशोधन जारी हैं। भारत, जापान, अमरीका, युरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों की खोज जारी है। हालांकी उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के मरीज़ों को इससे लड़ने और उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण होने के बावजूद कुछ समय तक साधारण जीवन जीने में सक्षम हैं परंतु अंत में मौत निश्चित हैं। उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण लाइलाज हैं। इसी कारण आज यह भारत में एक महामारी का रूप हासिल कर चुका है। भारत में उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण रोग की चिकित्सा महंगी है, उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण की दवाईयों की कीमत आम आदमी की आर्थिक पहुँच के परे है। कुछ विरल मरीजों में सही चिकित्सा से 10-12 वर्ष तक उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण के साथ जीना संभव पाया गया है, किंतु यह आम बात नही है।
सामाजिक बदलाव - एक महत्वपूर्ण पक्ष :
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है कि समाज को भी संदेह और भय का रोग लग जाता है। यौन विषयों पर बात करना हमारे समाज में वर्जना का विषय रहा है। निःसंदेह शतुरमुर्ग की नाई इस संवेदनशील मसले पर रेत में सर गाड़े रख अनजान बने रहना कोई हल नहीं है। इस भयावह स्थिति से निपटने का एक महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक बदलाव लाना भी है।
… रवि श्रीवास्तव
from- मेरी पत्रिका
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