किनारो पर सागर के खज़ाने नही आते,
फिर जीवन मे दोस्त पुराने नही आते।
जी लो इन पलो को हस के जनाब,
फिर लौट के दोस्ती के ज़माने नही आते।

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रिश्तो की भीड मे भी वो गुमनाम रह गया,
जाने क्या दिलकश शेर वो मुझसे कह गया।
आया ना लौट कर वो फिर कभी इस मोड पर,
आँसू की तरह आँखों से निकल कर बह गया।

4 Comments:

Rajeysha said...

आँसू की तरह आँखों से निकल कर बह गया।
बहुत खूब।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

रिश्तो की भीड मे भी वो गुमनाम रह गया,
जाने क्या दिलकश शेर वो मुझसे कह गया।
आया ना लौट कर वो फिर कभी इस मोड पर,
आँसू की तरह आँखों से निकल कर बह गया....

in panktiyon ne dil ko chhoo liya...

bahut achchi lagi kavita........

निर्मला कपिला said...

किनारो पर सागर के खज़ाने नही आते,
फिर जीवन मे दोस्त पुराने नही आते।
जी लो इन पलो को हस के जनाब,
फिर लौट के दोस्ती के ज़माने नही आते।
वाह बहुत सुन्दर और सही बधाई

राकेश 'सोहम' said...

बहुत खूब ! 'फिर लौट के दोस्ती के ज़माने नही आते।'
जितनी खूबसूरत लाइनें उतना ही अच्छा चित्र भी . बधाई .
[] राकेश 'सोहम'