सूरज की प्रखर तेजी मेंभी
गुलमोहर का खिलना मन्को आह्लादित करता है
सर्द हवाओं के झोंको मे भी
फूलो का खिलखिलाना मन को सुरभित करता है
रातों के स्याह अंधेरों मे भी
सितारों का जगमगाना मन को उल्लासित करता है
तेज़ तुफानो के दौरों मे भी
वृक्षों का लहलहाते रहना मन को पुलकित करता है
हैरान हूयह देख कर की इन पर क्यो
मौसम की तल्खियों का असर नही होता है
न कुछ कहते, सब कुछ सहते ,
हरदम प्रफुल्लित हैं रहते
खुशबु लुटाते , रौशनी बिखराते
छाया सघन है फ़िर भी देते रहते
अपने स्वभाव की मधुरता और मौलिकता
कभी नही खोते , हर मुश्किल मे सहज ही रहते हैं
स्वभाव की महक फैलाते रहते हैं
अस्तित्व अपना बनाए रखते हैं
और कैसे जीते हैं सहज सुरभित जीवन
इंसान को ये अनूठा ढंग बताते हैं
पर इंसान अक्सर निर्बल हो जाता है
ज़रा सी तपिश मे भी आपे से बाहर हो जाता है
मुसीबतों मे अपनी मौलिकता तो खो ही देता है
और कमज़ोर हो कर अपने अस्तित्व के संघर्ष मे
अक्सर नाकाम हो जाता है
पर फ़िर भी प्रकृति के इन प्रेरक प्रतिनिधियों से
जीने की अदा नही सीखता है
जो विपरीत हवाओं मे भी अपने होंसलों को
बनाए रखते हैं
और अपनी मौलिकता सहजता और मधुरता से
अंधेरों और तुफानो को भी पार कर जाते हैं
और अपना अस्तित्व भी बनाए रखते हैं।
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
4 Comments:
जो विपरीत हवाओं मे भी अपने होंसलों को बनाए रखते हैं . बहुत achhi है कविता . बधाई . jeene की ada sikha गई .
असर तो होता है पर जीवट शक्ती को बनाये रखते है । हम इन्सान भी तो इसीसे हौसला लेते हैं ।
Vipreet haalaat mein bhi agar insaan chaahe to prakriti se bahoot kuch umeed le sakta hai .. aasha ka sanchaar karti rachna hai ...bahoot sundar rachna ....
bahut hi behtareen kavita .....man moh liya is kavita ne......
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