राजनीति का अर्थ महज सत्तासुख हो गया है
कैसे भी हो, हथिया ले राजगद्दी
अघोषित ये लक्ष्य महान हो गया है
व्यक्तित्व की गरीमा खोई आज के इस दौर मे
खून सस्ता और पानी महँगा हो गया है
ख़ुद के आईने मे जिसने कभी देखा नही ख़ुद को
दूसरो के लिए आज वो ख़ुद आइना हो गया है
हित-अनहित, जनहित की जिसने कभी परवाह नही की
ऐसा पथभ्रष्ट आज पथ प्रदर्शक हो गया है
जन जन की भावनाओं का शोषण आज चरम पर है
कैसे नाखुदा आज बड़ा बेदर्द हो गया है
दूसरो के सर पर रख कर पाँव
आकाश छूनेकी आकांक्षा मे
आदमी क्या से क्या हो गया है।
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
5 Comments:
आदमी का सच बयान करती सुन्दर रचन .......
यह एक बयां भर नहीं है . देश का दर्द है .
बहुत हो गया है बहुत हो चूका है .
अब तो ये सूरत बदलनी ही चाहिए .
ख़ुद के आईने मे जिसने कभी देखा नही ख़ुद को
दूसरो के लिए आज वो ख़ुद आइना हो गया है
wah ...wah
aapne tu 100 take ki baat kah di
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