वर्तमान सन्दर्भ मे 'खेल' शब्द कोरी, निर्रर्थक क्रियाओं को ही पेश करता है,जो प्रकटत उद्देश्यहीन होते हुए भी भीतर से किसी उद्देश्य को पूरा करता है, जो आह्लादकारी और मानवीय व्यक्तित्व को उन्नत करने वाला है। वस्तुत ये सारी क्रियाएं जो उपयोगिता की दृष्टि से सर्वथा मूल्य विहीन प्रतीत होती है, वास्तव मे निरर्थक और निर्मूल्य नही है।
'कार्य' शब्द उन क्रियाओं को प्रस्तुत करता है जो हमारे जैविकीय अस्तित्व को बनाए रखने मे सहायक है तथा वह अन्य व्यवहारिक प्रयोजनों और स्वार्थो को सिद्ध करता है। सभी उपयोगिता रखने वाली क्रियाओं मे तो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व पर पड़ते हुए बाहरी दबावों से नियंत्रित होकर ही कार्य कर पाता है। किंतु खेल का संम्बंध उन सभी क्रियाओं से है, जो हमें हमारी बंदिशों से मुक्त करती है,फलस्वरूप सहज है और भीतर से प्रेरित भी।
तो क्या आप खेलने के लिए समय निकालते हैं? अगर नही तो आप जीवन की एक अनमोल खुशी से वंचित हैं। चोंक गए ? चौंकिए नही, यह सच है। हम मे से अधिकाँश व्यस्क यह सोचते हैं की अब हमारा अपना एक परिवार है, बच्चे हैं, फ़िर कारोबार, घर-गृहस्थी के कामो से फुर्सत ही नही मिलती। और इस उम्र मे खेलना हमें क्या शोभा देता है? खेलना तो बच्चों का काम है।
अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप जीवन के सहज सुलभ किंतु आनंदायक पलों को चूक रहे हैं। क्या आप जानते हैं की वयस्कों के लिए भी खेलना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बच्चों के लिए। यह स्वास्थय के लिए लाभदायक तो है ही, साथ ही मौज मस्ती के ये कुछ पल-छिन आपको रोजमर्रा के तनावों से राहत दिलाने मे सहायक भी है। ध्यान रखिये की रोज़मर्रा के दबावों और तनावों से राहत पाने के लिए सबसे पहले खेल फुर्सत के क्षण उपलब्ध करवाता है, जिसकी आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी मे ज्यदा जरूरत है।
सामान्यत दिनभर की भागदौड़ के बाद लोग थके-हारे से घर लौटते हैं। ऐसे मे वे सब कुछ भुलाकर फुर्सत के क्षण निकालना चाहते हैं ताकि दिनभर के दबावों और तनावों से राहत महसूस कर सकें। किंतु उन्हें समझ मे नही आता की यह कैसे सम्भव होगा। इस उलझंभरि स्थिति से उबरने के लिए किसी भी तरह के खेल खेलने से आपको तनावों से राहत पाने मे सहायता मिलेगी और फुर्सत के ये क्षण आपके जीवन मे आशा और उमंग भर देंगे। व्यक्ति अकेले मे खेलेया परिवार के साथ तो भी यह उसके स्वास्थय के लिए घुट्टी का काम करेगी अगर परिवार के साथ खेले तो पारिवारिक रिश्तों मे सुहृदयता मधुरता बनी रहेगी।
यह भी देखने मे आया है की नई तकनीकी के विकास से वयस्कों और बच्चों मे कंप्यूटर आधारित खेलो मे रूचि बढती जा रही है। क्योंकि ये रोचक सरस और रहस्य रोमांच से भरपूर होते हैं। इन्हे खेलने से आपकी मेधाशक्ति और तार्किकता भी बढती है। to यह सोचना की खेल सिर्फ़ बच्चों के लिए हैं, वयस्कों के प्रति नाइंसाफी होगी।
ऐसा पाया गया है की कई व्यस्क गम्सखेलने मे अधिक प्रफुल्लित होते हैं और खेलते समय अपनी बचपन की यादे ताज़ा करके आनंदित होते हैं। यह तथ्य है की इस तरह वे अपने को तरोताजा महसूस करते हैं। और कुछ समय के लिए अपनी निजी और कारोबारी समस्याओं को भूल कर तनाव मुक्त हो जाते हैं। और खुशी महसूस करते हैं।
इसलिए खेल सभी के लिए जरुरी है। यह उपयोगी है, आनंद प्रदाताहै। खेल मे व्यक्ति सही अर्थों मैं अपनी स्वतंत्रता और आत्मसंतुष्टि पाता है वेसे भी जीवन अपने आप मे एक खेल है जिसमे हम सब खिलाडी हैं। इसलिए हर उम्र मे खेलने के लिए समय अवश्य चुराइए।

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