पत्रों से
अब दिल
बहलाया नहीं जा सकता ।
प्यार भरी पाती
भावों का संगम
जीवन का
परिणय संवाद अब
झुठलाया नहीं जा सकता ।
कोमल भावनाओं की महक,
हर शब्द में
मिलन की कसक ।
प्यार की सौगातों की
लम्बी कथा,
कह गई पाती
सारी व्यथा ।
प्यार के उपहार में
शब्दों के जाल में, मैं
जब-जब भटक जाता हूँ;
सच कहूं
क्या करू
कुछ समझ नहीं पाता हूँ !
[] राकेश 'सोहम'
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
2 Comments:
बहुत खूब... शानदार रचना...
BAHOOT KHOOB LIKHA HAI ....
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