मोहब्बत नासमझ होती है, समझाना ज़रूरी है,
जो दिल में है उसे आंखों से कहलवाना ज़रूरी है।
उसूलों पर जो आँच आए तो टकराना ज़रूरी है,
जो जिंदा है तो फ़िर जिंदा नज़र आना भी ज़रूरी है।


बहुत बेबाक आँखों में ताल्लुक टिक नहीं सकता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है।
सलीका ही नही शायद उसे महसूस करने का,
जो कहते है गर खुदा है तो नज़र आना भी ज़रूरी है।

3 Comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर चित्र के साथ सुन्दर रचना!बहुत बढिया।बधाई।

RAJNISH PARIHAR said...

बिलकुल सही लिखा आपने...

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब लिखा है...............वाकई बहुत सी चीजें जरूरी होती हैं.......मोहब्बत में.........ज़िन्दगी में