एक अध्ययन में पाया गया है कि सिगरेट पीने से मस्तिष्क में उसी तरह के परिवर्तन होते हैं जैसा कि नशीली दवाएँ लेने पर.
अमरीकी शोधकर्ताओं ने कुछ मृत लोगों के दिमागों का तुलनात्मक अध्ययन किया. इसमें तीन तरह के लोगों के दिमाग़ को लिया गया था.
इसमें धूम्रपान करने वाले, न करने वाले और पहले कभी धूम्रपान के आदी रह चुके लोगों के मस्तिष्क शामिल थे.

'जनरल ऑफ़ न्यूरोसाइंस' में छपी इनके अध्ययन में कहा गया है कि धूम्रपान करने से मस्तिष्क में लंबे समय तक बने रहने वाले बदलाव होते हैं.
एक ब्रिटिश विशेषज्ञ ने कहा कि इन परिवर्तनों को देखकर यह भी पता लगाया जा सकता है कि धूम्रपान करने वाले के लिए इसे रोकना कठिन क्यों था और उसने फिर धूम्रपान करना क्यों शुरू किया.

'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज़' के शोधकर्ताओं ने मानव मस्तिष्क के उन ऊतकों के नमूनों को देखा जो नशे की प्रवृत्ति रोकने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं.
ऐसे आठ लोगों के नमूने लिए गए थे जिन्होंने मरते दम तक नशा किया. आठ ऐसे लोगों के नमूने लिए गए थे जिन्होंने 25 साल तक नशा किया था और आठ लोगों के नमूने ऐसे थे जिन्होंने कभी भी नशा नहीं किया था.
इनमें से किसी की मौत नशा करने की वजह से नहीं हुई थी.
शोधकर्ताओं का कहना था कि धूम्रपान करने वालों और न करने वालों के मस्तिष्क में भी निकोटिन के प्रभाव से बड़ा बदलाव हो सकता है.

लंदन के किंग्स कॉलेज़ में 'नेशनल एडिक्शन्स सेंटर' के डॉ जॉन स्टैप्लेटन का कहना है,"यदि लंबे समय तक निकोटिन दिन में कई बार शरीर के अंदर जाए तो यह बहुत ही आश्चर्य की बात होगी कि दिमाग में बड़े परिवर्तन न दिखाई पड़ें."
उन्होंने कहा,"लेकिन अभी यह पता करना बाक़ी है कि क्या ये परिवर्तन किसी भी स्तर पर धूम्रपान की आदत पड़ने या एक बार आदत छूटने के बाद भी फ़िर से धूम्रपान के लिए ज़िम्मेदार हैं."
शोधकर्ताओं के अनुसार ये बदलाव धूम्रपान छोड़ने के लंबे समय के बाद भी दिखाई पड़ सकते हैं.

भारत जैसे देश में तो धूम्र पान पूरी तरह निषेध कर देना चाहिए. केवल वैधानिक चेतावनी छाप देने भर से सरकार और समाज अपने नैतिक कर्तव्यों से मुह नहीं मोड़ सकते. देश के युवा वर्ग को नशे से दूर रखने की ज्यादा ज़रुरत है. सरकार और समाज को अब कुछ करना चाहिए क्योकि स्वस्थ जनता ही एक स्वस्थ और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण कर सकती है.

अगर अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो कृपया इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं या फारवर्ड करें ताकि अधिक से अधिक लोग इसके प्रति चेतन और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सकें.

With spl.thanks to BBC

5 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

धूम्रपान एक बिमारी है और किसी नशे से कम नहीं है............
इसके दुष्प्रभाव से पूरी दुनिया प्रभवित है...पर कुछ पैसे वाले अमीर मालिकों की वजह से, सिगरेट लाबी बहुत स्ट्रोंग है

अच्छा लेख है

दिगम्बर नासवा said...
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संगीता पुरी said...

फिर भी लोग क्‍यों नहीं समझते ?

विनोद श्रीवास्तव said...

नशा, मद्यपान, धूम्रपान आदि समाज के लाइलाज रोग बन चुके हैं. सरकार द्वारा सिर्फ धूम्र पान आदि निषेध कर देने से यह समस्या समाप्त नहीं होने वाली है. नशीली चीजों के व्यापार के विरुद्ध बेहद शख्त कानून होने के वावजूद हमारे देश में नशे की लत कितनी तेजी से बढ़ रही है, यह इसका सबूत है. जब तक हमारे समाज का पारिवारिक ढाचा संवेदनशील और मजबूत नहीं होगा तब तक युवाओं को नशे की तरफ मुड़ने से नहीं रोका जा सकता. समाज और सरकार से ज्यादा परिवार की जिम्मेदारी है कि उनका कोई युवा सदस्य उपेक्षा या अत्यधिक लाड प्यार की भेट चढ़ कर नशे का लती न बन जाय. आपकी इस सामाजिक चिंता से हर जागरूक नागरिक जरूर सहमत होगा. काश मीडिया अनाप शनाप और बकवास चीजे दिखाने के बजाय अपनी ब्यापक पहुच के जरिये समाज के लिये भी इस दिशा में कुछ पहल करता !

Dr. Ravi Srivastava said...

लोग जान बूझकर अनजान बने हुए हैं. एक प्रकार की तंद्रा में जी रहे हैं लोग. इसी तंद्रा को तोड़ना होगा. आप के इस गंभीर सोच को दर्शाती हुई टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आगे भी कृपया साथ में बने रहें...
Ravi Srivastava