जो किया है इकरार क्या समझूं मैं इसे,
समझना भी चाहूँ तो कैसे समझू इसे।
अब तक मोहब्बत ने हमें दूर से तरसाया है,
अफसाना समझू की कहूँ मैं हकीकत इसे।
समझना भी चाहूँ तो कैसे समझू इसे।
अब तक मोहब्बत ने हमें दूर से तरसाया है,
अफसाना समझू की कहूँ मैं हकीकत इसे।
लिख तो दिया है तुमने कागज़ पर दिल की बात को,
इकरार से पहले जाना तो होता मेरे बारे में।
इकरार से पहले जाना तो होता मेरे बारे में।
दिल की बात है या फिर कहें महज़ कलाम इसे,
कैसे पा सकते है हम इश्क वाले की हकीकत को
या खुदा, तू ही बता और क्या लिख भेजूं मैं उसे।
कैसे पा सकते है हम इश्क वाले की हकीकत को
या खुदा, तू ही बता और क्या लिख भेजूं मैं उसे।
1 Comments:
क्या बात है ..मन की उथल पुथल को बहुत खूब पेश किया है
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
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