ये दर्द मिट गया तो फिर?
ये ज़ख्म सिल गया तो फिर?
बिछड़ कर सोचता हूँ मैं,
वो फिर से मिल गया तो फिर?
मैं तितलियों के शहर में,
रहूँ तो मुझ को फिकर है
वो फूल जो खिला नही,
वो फूल खिल गया तो फिर?
तुझे भी कुछ नही मिला,
मुझे भी कुछ नही मिला,
तमाम उमर के लिए,
ये दर्द मिल गया तो फिर?
मैं इसलिए तो आज तक,
सवाल भी न कर सका,
अगर मेरे सवाल का,
जवाब मिल गया तो फिर?


-----------------------------


बहुत उदास है कोई तेरे जाने से,


हो सके तो लौट के आ किसी बहने से।


तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख,


कोई टूट सा गया है तेरे रूठ जाने से॥


2 Comments:

Shikha Deepak said...

मैं इसलिए तो आज तक,
सवाल भी न कर सका,
अगर मेरे सवाल का,
जवाब मिल गया तो फिर?

बहुत सुंदर.........

दिगम्बर नासवा said...

बहुत उदास है कोई तेरे जाने से,
हो सके तो लौट के आ किसी बहने से।
तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख,
कोई टूट सा गया है तेरे रूठ जाने से

हर शेर लाजवाब, ख्यालों को सुन्दर शब्दों में पिरोया है आपने