यह न समझना कि बिछडा हूँ तो भूल गया हूँ।
तेरी दोस्ती की खुशबू मेरे हाथों में आज भी है॥
मोहब्बत से बढ़ कर मुझे अकीदत है दोस्त तुमसे।
यूँ मुकाम तेरा बुलंद सब दोस्तों में आज भी है॥
तू वो है जो बरसों की तलाश का सामान है।
तुम्हे सोचना मेरी यादों में आज भी है॥
यह और बात है कि मजबूरियों ने निभाने न दी दोस्ती।
वरना शामिल सचाई मेरी वफाओं में आज भी है॥
मेरा हर शेर मेरी चाहतों की गवाही देगा।
चाहतों की खुशबू इन लफ्जों में आज भी है॥
हर लम्हा ज़िन्दगी में मोहब्बत नसीब हो तुझे।
शामिल तू मेरे दुआओं में आज भी है॥
3 Comments:
बहुत सुंदर लिखा आपने ... बहुत बहुत बधाई।
वाह बहुत सुन्दर लिखा है.
तेरी दोस्ती की खुशबू मेरे हाथों में आज भी है॥
सुन्दर लिखा है..........
यादें अक्सर साथ ही रहती हैं...........दिल से जाती नहीं
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