वह निराकार है
अदृश्य है
दिखाई नहीं देता
कहा कहाँ खोजता है
भक्त
हार जाता है
थक जाता है
उसका पता नहीं पता है
पर
वह साकार भी है
साक्षात भी है
प्रकृती के कण कण मे
मौजूद है जन जन मे
बुजुर्गो मे,
उनकी दुआओं मे
बच्चो की किलकारियों मे
बहु बेटियों की
सदाओं मे
तरूवर पल्लव लताओं मे
सरसराती हवाओं मे
उमड़ती घुमड़ती घटाओं मे
महकती फिजाओं मे
कलरव करते
परिंदों पक्षियों मे
नाद करती नदियों मे
आओ हम निराकार को
साकार करें
उसका अभिनन्दन करें
वंदन करें
आओ हम निराकार को
साकार करें
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
3 Comments:
बहुत खूब, लाजबाब !
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
aapke vichar bahut achchhe hain.Aaj apke jaise logo ki zarurat hai DESH ko.
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