चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा और आचार संहिता पर निर्वाचन आयोग की पैनी नजर के कारण लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों का मतदाताओं के दरवाजे पहुंचना मजबूरी बन गई है। पिछले पखवाड़े लोकसभा चुनाव के महासमर की रणभेरी बजने के बाद अब तक चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक दलों की उठापटक देखी गई और अब इन्ही में से कोई नेता आपके दरवाजे दस्तक देकर हालचाल पूछने जरूर आएगा।
चुनाव आचार संहिता और प्रत्याशियों के खर्चे पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर के चलते मंहगी गाड़ियों पर चलने के शौकीन इन नेताओं की मजबूरी है कि यह पैदल ही जनसंपर्क कर आपको लुभाने का प्रयास करें। आयोग ने हर प्रत्याशी को चुनाव में अधिकतम 25 लाख रूपए खर्च करने की अनुमति दी है और अधिकतर संसदीय क्षेत्र की वृहदता इतनी है कि यह रकम तो बैनर, होर्डिंग जैसे प्रचार माध्यमों पर खर्च करने के लिए भी नाकाफी है। यही वजह है कि प्रत्याशियों का मतदाताओं के दरवाजे पहुंचना मजबूरी बन गई है।
प्रदेश की राजनीतिक सोच का साक्षात उदाहरण है कि देश को पांच प्रधानमंत्री इसी राज्य ने दिए हैं। इसके अलावा यहीं से उपजे और पले बढ़े समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे क्षेत्रीय दल देश की राजनीति में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में इस बार भी यहां लोगों में खासा उत्साह है लेकिन बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के वायदे के साथ पिछला चुनाव जीते नेताओं के प्रति लोगों में खासा रोष भी है। चुनाव के समय बिजली हमेशा से ही यहां प्रमुख मुद्दों में शामिल रहती है और विपक्ष इस मुद्दे को हर बार भुनाने की ताक में रहता है हालांकि दिलचस्प तथ्य यह है कि आजादी के बाद से यहां कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा की सरकारें रह चुकी हैं, लेकिन विद्युत के क्षेत्र में यह प्रदेश पंजाब, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य विकसित राज्यों की अपेक्षा बहुत पिछड़ा है और हालात यह है कि घनी आबादी वाले इस राज्य की एक चौथाई आबादी हर समय अंधेरे की ओट में रहने को मजबूर है।
बिजली के अलावा प्रदेश में विकास का दूसरा मुख्य मुद्दा सड़कों और नालियों की जर्जर हालत है। राष्ट्रीय राजमार्ग और राजधानी लखनऊ और नोएडा को छोड़ दे तो बाकी राज्य ऊबड़-खाबड़ सड़को और सड़ांध भरी नालियों से बेहाल है। औद्योगिक नगर कानपुर, गोरखपुर, मेरठ और वाराणसी समेत राज्य के अधिसंख्य जिलों के वाशिंदे इस बार जन प्रतिनिधियों की खबर लेने को तैयार बैठे हैं। पेयजल के मामले में भी राज्य की हालत बेहद गंभीर है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पीने के पानी को लेकर हायतोबा शुरू हो जाती है। बुंदेलखंड-कानपुर देहात के अलावा पूर्वाचंल के कई जिलों में पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मापकों के प्रतिकूल हैं, जिससे यहां के लोगों को डायरिया समेत अन्य गंभीर बीमारियों से रूबरू होना पड़ता है।
धर्म और जाति के नाम पर बरगलाने वाले इन नेताओं की नीयत से जनता अच्छी तरह वाकिफ हैं। जनता यह भी बखूबी जानती है कि चुनाव के बाद इन तंग गलियों मे किसी की शक्ल नहीं दिखेगी, ....लेकिन हम इस बार हम वोट जरूर देंगे, लेकिन किसे इस बारे में अच्छी तरह सोच विचार कर”।
पर किसे???
बर्बाद गुलिश्ता करने को एक ही उल्लू काफी था,
यहाँ तो हर डाल पे उल्लू बैठा है, अंजाम-ए-गुलिश्ता क्या होगा?
न होगा कभी कोई गम ऐसा मुझे लगता है ।
जानते तो नही हैं कि तकदीर में लिखा क्या है,
मगर जो तुम साथ न हुए तो डर लगता है ॥
है सच यह कि उदास हो तुम मुझसे दूर होकर ।
पर हँसता चेहरा तुम्हारा एक बहाना सा लगता है ॥
तुम कहते कहते ही यहाँ कुछ बात ऐसी कह गए,
रोका बहुत हमने मगर दो आँसू फ़िर भी बह गए ।
रोये बहोत हैं गम में छुप-छुपकर अकेले ही यूँही,
सोचा नही था पर खुशी में भी यह साथ मेरे रह गए ॥
जी भर गया दुनिया से कज़ा क्यूँ नही आती।
हर कुल्फत-ऐ-इंसान को जो जद्द ही से मिटा दे,
आलम में कोई ऐसी बवा क्यूँ नही आती
होठों पे तबाही की दुआ क्यूँ नही आती ।
हर एक पे कर लेते है बेफिक्र भरोसा,
हम जैसों को जीने की अदा क्यूँ नही आती ॥
किस्मत की तिजतात में हया क्यूँ नही आती ।
कहते है कि हर चीज़ में तू जलवा नुमा है,
फिर मुझको नज़र तेरी जिया क्यूँ नही आती ॥
सीनों से नेलामत की सदा क्यूँ नही आती ।
मजलूम पे टूटे है मुसीबत पे मुसीबत,
सर-ऐ-जालिम पे बाला क्यूँ नही आती ॥
यही साथी है अब मेरे गम हो या खुशी की बात,
मौका कोई भी रहे पर यह छोडे न मेरा साथ ।
हर सह में दोस्त बनके रहते है यह आँखों में,
छुपा जाते है चादर बन के यह दिल के जज़्बात ॥
यही वफ़ा का सिला है, तो कोई बात नही ,
यह दर्द तुम ने दिया है, तो कोई बात नही।
यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से,
सफीना डूब रहा है, तो कोई बात नही।
रखा था आशियाना-ऐ-दिल में छुपा के तुमको,
वो घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नही।
तुम ही ने आईना-ऐ-दिल मेरा बनाया था,
तुम ही ने तोड़ दिया है तो कोई बात नही।
किसे मजाल कहे कोई मुझको दीवाना,
अगर यह तुमने ही कहा है तो कोई बात नही।
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आज हम उन्हें बेवफा बताकर आए हैं,
उनके खतों को पानी में बहाकर आए हैं।
कोई पढ़ न ले उन खतों को पानी से निकाल के,
इसलिए पानी में भी आग लगा के आए हैं।
जो तेरे इश्क में खोये तो फिर पता न रहा,
ज़माने भर से मेरा कोई वास्ता न रहा।
बहोत गहरे मरासिम थे दोस्तों से मेरे,
तुम्हारे बाद किसी से भी राबता न रहा।
बहोत थे शिकवे गिले तुम से बेवफाई के,
देखकर सामने तुमको कोई गिला न रहा।
जूनून चढ़ा तो इस तरहां इश्क का तेरे,
कोई हुदूद फिर कोई जाब्ता न रहा।
लगी जो आग दिल में तो इस तरहां फैली,
फिर बच निकलने का कोई रास्ता न रहा।
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाई का ग़म मिटा लेते हैं।
किसी तरह जी कर हो जाए उनका,
तो हँसकर भीगी पलकें झुका लेते हैं।
दिल की दुनिया टूटने के बाद सब रोते थे,
हम थे कि पागलों की तरह हँसते थे।
यह हाले-दिल हम कैसे सुनाये कि...
तकलीफ न हो उनको इस लिए अकेले रोते थे।
वक्त ने सारी कहानी बदल डाली,
प्यार का नाम जो आता है तो डर लगता है।
जख्म कुछ ऐसे भी आपने दिए हैं मुझको,
अब कोई हाथ मिलाता है तो भी डर लगता है।
प्यार कोई चीज़ नही जिसे मेहनत से हासिल किया जा सके,
प्यार कोई मुक़द्दर नही जिसे तकदीर पे छोड़ा जा सके।
प्यार एक यकीन है भरोसा है लेकिन ये इतना आसान नही,
कि किसी पे भी किया जा सके।
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया।
मै हूँ बेवफा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
एक ख्वाब एक ख़याल एक हकीकत हो तुम,
दोस्ती में पड़ने वाली हर ज़रूरत हो तुम.
जिसको रोज़ एक बार याद करना पड़े,
किया यार अजीम मोहब्बत हो तुम.
चाहो तो दिल से हमें मिटा देना,
चाहो तो हमको भूला देना.
पर ये वादा करो की कभी जो याद हमारी आई,
रोना मत सिर्फ़ एक एस।एम्.एस. कर देना.
कुदरत के करिश्माओं में अगर रात न होती,
ख्वाबों में भी उनसे मुलाक़ात न होती,
ये दिल हर एक गम की वजह है,
ये दिल ही न होता तो कोई बात ही न होती।
उन्हें ये शिकवा है कि हम,
उन्हें याद करते ही नही।
पर उन्हें ये कौन समझाए कि हम उन्हें याद कैसे करें,
जिन्हें हम कभी भूलते ही नही।
होती नही मोहब्बत सूरत से,
मोहब्बत तो दिल से होती है।
सूरत उनकी ही प्यारी लगती है,
कदर जिनकी दिल में होती है।
ज़िन्दगी में कुछ पल ऐसे आएंगे,
जब हम तुम्हारे साथ न रह पाएंगे।
तुम मायूस न होना उन राहों पर,
हम तुम्हारे दिल में होंगे सिर्फ़ साथ न चल पाएंगे।