मजारों मैं सोये हुए हैं,अच्छे और बुरे



प्यार और नफरत के चहेते,रंगीन और बदरंग चेहरे


किस्मत किसी की, बदकिस्मती किसी क़ी,


यह मजबूरी ही है, बगल मैं कौन किसके लेटे


कोई बता नहीं सकता, आज क़ी दूरी होगी

क्या कल क़ी नजदीकी?

कोई कह नहीं सकता, आने वाले वक़्त का अहसास

कभी हो नहीं सकता, वक़्त तो वक़्त है

वक़्त पर ही बताएगा, किस का होगा क्या अंजाम


ये वक़्त ही बताएगा.


4 Comments:

विवेक सिंह said...

बहुत सुन्दर भाव ।

विचारणीय विषय पर बेहतरीन कविता !

माधव( Madhav) said...

sundar

वीना श्रीवास्तव said...

अच्छी कविता है...

Unknown said...

aapki kavita padhi , achchi lagi