जिन्दगी रोज़ आजमाती है,नित नए गुल खिलाती है
जिनको बामुश्किल भूला,उनकी फिर याद दिलाती है
कभी गम के माहौल मै ख़ुशी देती है,और कभी माहौले ख़ुशी गम देती है
कल जो दिखाते थे खंजर हमको,आज पहना रहे हैं हार हमको
कल जो देखते थे साथ मैं चाँद,आज हिलाते हैं चाँद से हाथ
जिन्दगी का खेल कमाल का है,मसला ये "निरंतर" हर जान का है
जिन्दगी रोज़ आजमाती है,नित नए गुल खिलाती है
जिनको बामुश्किल भूला,उनकी फिर याद दिलाती है
कभी गम के माहौल मै ख़ुशी देती है,और कभी माहौले ख़ुशी गम देती है
कल जो दिखाते थे खंजर हमको,आज पहना रहे हैं हार हमको
कल जो देखते थे साथ मैं चाँद,आज हिलाते हैं चाँद से हाथ
जिन्दगी का खेल कमाल का है,मसला ये "निरंतर" हर जान का है
जिन्दगी रोज़ आजमाती है,नित नए गुल खिलाती है
...collection
1 Comments:
Vaah ... Bahut lajawaab likha hai ...
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