शाम होती है
जो खत्म हो जाये
वो ज़िन्दगी होती है
जो मिल जाये वो
मौत होती है
और जो ना मिले
वो मोहब्बत होती है
-----------------------------------
हाथ पकडने का वादा था मगर हाथ छुडा लिया
जिसकी जिसे जरूरत थी खुदा ने मिला दिया
शिकायत भला करे किस से
मेरी तक़दीर ने सचाई का चहेरा दिखा दिया
...a simply collection
3 Comments:
जो मिल जाये वो
मौत होती है
और जो ना मिले
वो मोहब्बत होती है
behad khubsoorat
आपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है .
* किसी ने मुझसे पूछा क्या बढ़ते हुए भ्रस्टाचार पर नियंत्रण लाया जा सकता है ?
हाँ ! क्यों नहीं !
कोई भी आदमी भ्रस्टाचारी क्यों बनता है? पहले इसके कारण को जानना पड़ेगा.
सुख वैभव की परम इच्छा ही आदमी को कपट भ्रस्टाचार की ओर ले जाने का कारण है.
इसमें भी एक अच्छी बात है.
अमुक व्यक्ति को सुख पाने की इच्छा है ?
सुख पाने कि इच्छा करना गलत नहीं.
पर गलत यहाँ हो रहा है कि सुख क्या है उसकी अनुभूति क्या है वास्तव में वो व्यक्ति जान नहीं पाया.
सुख की वास्विक अनुभूति उसे करा देने से, उस व्यक्ति के जीवन में, उसी तरह परिवर्तन आ सकता है. जैसे अंगुलिमाल और बाल्मीकि के जीवन में आया था.
आज भी ठाकुर जी के पास, ऐसे अनगिनत अंगुलीमॉल हैं, जिन्होंने अपने अपराधी जीवन को, उनके प्रेम और स्नेह भरी दृष्टी पाकर, न केवल अच्छा बनाया, बल्कि वे आज अनेकोनेक व्यक्तियों के मंगल के लिए चल पा रहे हैं.
बहुत ही सुन्दर और सार्थक भाव लिए कविता |
नव वर्ष मंगलमय हो |
Post a Comment