कितना प्यार है उनसे हमे, उन्हें ये मैं बताऊँ कैसे.
दिल में बसे हैं वो किस कदर, इसे चीर कर उन्हें मैं दिखाऊं कैसे.
उन्हें तो फुर्सत ही नहीं हमारे प्यार के लिए,
और उनकी याद में, ये हर पल मैं बिताऊं कैसे.
कितना प्यार है उनसे हमे, उन्हें ये मैं बताऊँ कैसे.
न मिल पाने की मज़बूरी, बात भी तो नहीं होती थोड़ी ,
अपने इस नादान दिल को, फिर बोलो मैं समझाऊं कैसे.
आँखों में हर पल है वो, दिल-ओ -दिमाग पे वही है छाए,
कोई जरा बता दे मुझे , दिल-ओ-दिमाग से उसे मिटाऊं कैसे.
हाँ, दिल में बसे हैं वो इस कदर, इसे चीर कर उन्हें मैं दिखाऊं कैसे
स्रोत: अनजान
1 Comments:
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
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