किताबों के पन्नो में बार बार आ जाते हो
दूर हो मुझसे फिर भी यादों में रह जाते हो
भुलाने को कहते हो तो मुमकिन नहीं
क्यूँ कि तुम जहा भी जाते हो अपना दिल छोड़ आते हो
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रोशनी कर ना सके, दिल भी जलाया हमने
ए खुदा चुन के मुकद्दर अपना पाया हमने
तपते दिल को कहीं और भी मिल पायी न राहत
सावन आँखों से भी एक उम्र बहाया हमने.
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सोचा था इस कदर उनको भूल जायेंगे
देख कर भी अनदेखा कर जायेंगे
पर जब जब आया सामने उनका चेहरा
सोचा इस बार देख लें अगली बार भूल जायेंगे.
Spl. For- Sandip
1 Comments:
सुंदर रचना ,बधाई
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