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इतने मजबूर थे ईद के रोज़ तक़दीर से हम
रो पडे मिलके गले आपकी तस्वीर से हम

राहो की ये शाम और यादो का ये समा
अपनी पलको मे हरगीज़ सितारे ना लायेंगे

रखना जरूर सम्भाल के तुम कुछ खुशियाँ मेरे लिये
मै लौट के आंऊगा फिर ईद मनायेंगे

देख कर ईद का चाँद ये दुआ मांग़ रहे है
ए खुदा उन आंखो मे ये चाँद हमेशा चमके

पिछली ईद मे जितना याद किया था उन्हे
या खुदा इस साल ईद सिर्फ याद मे ना गुज़रे