तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा.


मगर हमारी तरह तुम्हे कौन चाहेगा.

ज़रूर कोई चाहत की नज़र से तुम्हे dekhega ,

मगर आँखें हमारी कहाँ से लाएगा.





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समझा दो अपनी यादों को,

वो बिन बुलाये पास आया करती हैं.

आप तो दूर रहकर सताते हो मगर,

वो पास आकर रुलाया करती हैं.





1 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब रवि जी ...
आपको भी मुबारक हो ये दिन ...