आज हम बिछड़े हैं तो कितने रंगीले हो गए,
मेरी आँखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गए।
कब की पत्थर हो चुकी थी आँखें मगर,
छू के देखा तो मेरे हाथ गीले हो गए।

मस्त हवा का झोका पागल अच्छा लगता है,
बल खता लहराता आचल अच्छा लगता है !

वो शरमाई उसको एक दिन आईना यूँ बोला,
आप की आँखों में यह काजल अच्छा लगता है !

भीगी पलकें भीगा दामन भीगा भीगा ये आँचल,
मौसम-ऐ-गम में जल थल जल थल अच्छा लगता है !

सूखे लबों पे दुआ नमी सी जब जब आती है,
सावन की रिमझिम सा बादल अच्छा लगता है !

उसकी गली में मौत मिले तो सौ सौ बार मरुँ,
एक जनम में उसको पाना अच्छा लगता है !
...to whom i miss her...pal...

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