दुश्मन मेरे खुशियों का ज़माना ही नही था,
तुम ने भी कभी अपना तो जाना ही नही था।
किया करता अकेला मैं सजा कर कोई महफिल,
जब शहर में किसी ने निबाहना ही नही था।


दिल ने तो बहुत चाहा मगर किस तरह जीते,
जीने के लिए कोई बहाना ही नही था।
मुड़- मुड़ कर देखता रहा मैं उमर भर मगर,
तुम आए नही तुमको तो आना ही नही था।


एक रास्ता बचा था वो भी लौटने का था,
जाता मैं कहाँ कोई ठिकाना ही नही था।
अब झुक कर मेरे लाश को झिंझोर रहे हो,
जैसे तुम्हारे इस यार को जाना ही नही था।



त्रिकोण आसन पेट, कमर और कूल्हे की अतिरिक्त चर्बी को घटाने में सहायक है। तेज़ गति से इस आसन का अभ्यास करने से निश्चित रूप से लाभ होता है. भस्त्रिका प्राणायाम भी इसी श्रेणी में आता है. यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है और शरीर के दूषित पदार्थों को दूर करता है.


सीधे खड़े हो जाएँ. दोनों पैरों में एक मीटर का फ़ासला रखें. साँस भरें. दोनों बाजुओं को कंधे की सीध में लाएँ. कमर से आगे झुके. साँस बाहर निकाले. अब दाएँ हाथ से बाएँ पैर को स्पर्श करें. बाईं हथेली को आकाश की ओर रखें. बाजू सीधी रखें. बाईं हथेली की ओर देखें. इस अवस्था में दो या तीन सेकिंड रूकें. साँस भी रोककर रखें. अब शरीर को सीधा करें. साँस भरते हुए फिर खड़े हो जाएँ. इसी तरह साँस निकालते हुए कमर से आगे झुके. बाएँ हाथ से दाएँ पैर को स्पर्श करें. दाईं हथेली की ओर देखें. दो-तीन सेकिंड रुकने के बाद प्रारंभिक अवस्था में आ जाएँ. यह पूरा एक चरण होगा. पाँच बार इस आसन का अभ्यास करें. कमर दर्द की शिकायत होने पर त्रिकोण आसन का अभ्यास नहीं करें.

त्रिकोणासन के नियमित अभ्यास से कमर और कूल्हे की चर्बी कम होती है। पेट और छाती के बगल की माँसपेशियों को सम्पूर्ण व्यायाम मिलता है. पैरों की पीछे वाली माँसपेशियों में खिंचाव आता है और उनकी शक्ति बढती है. तेज गति से इसका अभ्यास करने से पूरे शरीर का व्यायाम होता है. सभी अंग खुल जाते हैं और उनमें स्फूर्ति का संचार होता है. आँतों की कार्यगति बढ जाती है. कब्ज़ से छुटकारा मिलता है. पाचन शक्ति बढती है और भूख भी खुलकर लगती है.


भस्त्रिका प्राणायाम के लिए सबसे पहले किसी भी ध्यानात्मक आसन जैसे पद्मासन में बैठ जाएँ। दोनों हाथ घुटनों पर ज्ञान या चिन्न मुद्रा में रखें.


विधि -


इस प्राणायाम में हम तेज़ गति से साँस लेते हैं और तेज़ गति से ही साँस बाहर निकालते हैं. इसलिए भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले नाक बिल्कुल साफ़ होना चाहिए. साँस भरते समय पेट फूलना चाहिए और साँस छोड़ते हुए पेट पिचकना चाहिए.
इस प्राणायाम को करते समय साँस की गति पहले धीरे रखें. फिर मध्यम गति से साँस भरें और छोड़ें.
अभ्यास हो जाने पर साँस की गति पहले धीरे, फिर मध्यम, फिर तेज़ करें। इसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम पूरा करने के लिए साँस की गति धीरे धीरे कम करते जाएँ और अंत में एक गहरी साँस लें. साँस निकालते हुए पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें.


विशेष -


भस्त्रिका प्राणायाम करते समय अगर चक्कर आने लगें, घबराहट हो, बहुत ज़्यादा पसीना आए या उल्टी जैसा मन करे तो समझिए की सही तरह से अभ्यास नहीं हो रहा है.
प्राणायाम करते समय शरीर को किसी तरह का झटका नहीं दें। चेहरा नहीं बिगाड़ें. कंधें नहीं उठाएँ. शरीर को भी नहीं हिलाएँ. साँस लेने और साँस निकालने का समय बराबर रखें. नाक बंद हो या साइनस की समस्या या नाक की हड्डी बढी हो तो चिकित्सक से सलाह लें.


साँस लेने और छोड़ने की गति के तीन प्रकार हैं-धीरे- दो सेकंड में एक साँस भरना और साँस छोड़ना।मध्यम- एक सेकंड में एक साँस भरना और साँस छोड़ना.तेज़- एक सेकंड में दो बार साँस भरना और साँस निकालना.


लाभ -


भस्त्रिका प्राणायाम शरीर की ऊर्जा बढाता है और शरीर के सभी अंगों से दूषित पदार्थों को दूर करता है. तेज़ गति से साँस लेने और छोड़ने के क्रम में हम ज़्यादा मात्रा में ऑक्सीज़न लेते हैं और कॉर्बन डॉयऑक्साइड छोड़ते हैं. इससे फेफड़ों की कार्य क्षमता भी बढती है.
भस्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम भी तेज़ी से काम करता है, जिससे पेट के सभी अंग मज़बूत बनते हैं और सुचारु रूप से काम करते हैं.
इसके अभ्यास से पाचन शक्ति बढती है। कब्ज़ दूर होती है. कफ़ दोष दूर होता है और शरीर में ऊर्जा बढती है.


उच्च रक्तचाप, ह्दयरोग होने पर भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए. हर्निया, गैस्ट्रिक, अल्सर, दमा और मिर्गी के मरीज़ों को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए.



कभी नजरें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं।
किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं।


कभी काली सियाह रातें हमे इक पल की लगती हैं,
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं।
कभी खोला दरवाज़ा खड़ी थी सामने मंजिल,
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं।


एक पल में टूट जाते हैं उमर भर के वो रिश्ते,
जिन्हें बनाने में ज़माने बीत जाते हैं।


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न जाने किसका ख्वाब कौन सी मंजिल, किसकी नज़र में है।


सदियाँ गुज़र गयी कि ज़माना अभी सफर में है।


तेरी उल्फत ने तो दीवाना बना रखा है,
और लोगों ने भी अफसाना बना रखा है।
आँधियाँ तेज़ चलें बुझ न सकेगा फिर भी,
खून-ऐ-दिल से जो दीया हम ने जला रखा है।



उनसे ख़ुद उनकी जफ़ाओं का गिला कैसे करें,
हमने आहों को भी सीने में दबा रखा है
वो जो कातिल है सितमगर है मोहब्बत की मेरी,
हमने उन्वान-ऐ-ग़ज़ल उसको बना रखा है।



बन के अनजान सर-ऐ-बज्म वो मुझसे बोले,
इश्क में किसके बुरा हाल बना रखा है।
कौन कहता है तुझको भूल गया है दिल,
तेरी याद को तो हमने ईमान बना रखा है।


With Spl.Thanks to Anu

माँ तुझे सलाम !

गणतंत्र दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं !!!!

होने थे जितने खेल मुक़दर के हो गए,
हम टूटी नाव लेकर समंदर के हो गए.
खुशबू मेरे हाथ को छूकर गुज़र गई,
हम फूल सबको बाँटकर ख़ुद पत्थर के हो गए.

हालात से प्यार की सज़ा मिल गई,
देखते ही देखते जिन्दगी बदल गई.
प्यासी निगाहें लिए खड़े थे हम आपके इन्तिज़ार में,
हमें देखते ही आपकी राहें बदल गई।


परिंदों को मिलेगी मंजिल एक दिन,
ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं.
वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर,
ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं।

परिस्थितियां कभी भी आपके वश में नहीं होतीं लेकिन आध्यात्म आपको संकटकालीन परिस्थितियों का सामना करने में सहायता करता है। इसलिए बड़ी संख्या में लोगों का आध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ रहा है। संकटकालीन परिस्थितियों से पार पाने के लिए अधिकांश लोग आध्यात्म की शरण में जा रहे हैं। संकटकालीन परिस्थिति में आध्यात्म से बेहद सुकून मिलता है। यह धर्म से परे है। अध्यात्म, योग और ध्यान के महत्त्व को अब युवा वर्ग भी समझने लगा है। युवा पीढ़ी का जिक्र होते ही सामने आती है बेफिक्री में डूबी मौज-मस्ती की जिंदगी, जिसमें दोस्तों का साथ हो, डिस्को और होटलों की रंगीन शाम हो। अधिकतर भजन-कीर्तन बुजुर्गों का काम माना जाता था, लेकिन अब माहौल बदला हुआ है। आज बढ़ती प्रतियोगिताओं, महत्वाकांक्षा, जिंदगी में आई जटिलता ने कई चीजों को बदला है। यही वजह है कि युवा पीढ़ी का झुकाव भक्ति और ध्यान की ओर अधिक होता जा रहा है। आध्यात्म से संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। सामान्यत: ऐसा होता है कि हम आगे बढ़कर माफी मांगने और ‘सॉरी’ कहने से कतराते हैं। आध्यात्म आपको ऐसे मामलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।


अब युवाओं की जिंदगी में एक नया बदलाव आ रहा है। उनकी सोच बदल रही है। वे इन सबके साथ-साथ ईश्वरीय आस्था में भी प्रवृत्त हो रहे हैं। युवा ध्यान योग को अपना रहे हैं, लेकिन दिल के किसी कोने में जीवन की बुलंदियों को छूने की चाहत भी हिलोंरें मारती है और इससे निस्संदेह एकाग्रता व कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी हो रही है। तनाव दूर करने और ज़िन्दगी में सफलता पाने के लिए योग व भक्ति अब उनकी जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे हैं।


पूरी दुनिया किसी न किसी समस्या से परेशान है और ऐसे में अध्यात्म ही ऐसा मंत्र है जो सबका समाधान कर सकता है। सभी देशों में आंतरिक और बाह्य हिंसा ने लोगों को मानसिक रूप से परेशान करके रखा हुआ है। इन सभी समस्याओं का समाधान अध्यात्म से हो सकता है। आध्यात्म में ध्यान करने की पद्धति मनोवैज्ञानिक पद्धतियों से काफ़ी अलग है। यह आसान और प्रभावशाली है। यह तनावों को दूर करके आपको मानसिक रूप से बिल्कुल तरोताजा बनाती है। ध्यान के माध्यम से आपको उस आनंद की प्राप्ति होगी जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। यही कारण है कि आज-कल लोगों का झुकाव आध्यात्म की और बढ़ने लगा है। देश में अनेक स्थानों पर बड़े–बड़े ध्यान- योग शिविर लगाए जा रहे हैं। निजी व पेशेवर जिंदगी से जुड़ी समस्याओं से घिरे सभी सम्प्रदायों व वर्गों के लोग आध्यात्म की ओर भाग रहे हैं। न सिर्फ औद्योगिक जगत के बल्कि सभी क्षेत्र के लोगों का आध्यात्म के प्रति रूझान बढ़ा है। यही नहीं, काम के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, आपाधापी और तनाव भी लोगों का ध्यान ईश्वर की ओर खींच रहा है। लोग तनाव दूर करने के लिए आध्यात्म का सहारा लेते हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने की कला के रूप में अब यह पूरे विश्व जन-मानस में प्रतिष्ठित हो रहा है।
आज चीन की एक अदालत ने मिलावटी दूध मामले में दो लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है. जबकि इस विवाद के केंद्र में रही सैनलू डेयरी की पूर्व प्रमुख को आजीवन कारावास भुगतना होगा. उत्तरी चीन में शिजियाज़ुआंग की एक अदालत ने इस मामले में कुल 21 लोगों को सज़ा सुनाई है. मिलावटी दूध के कारण छह बच्चों की मौत हो गई थी जबकि क़रीब तीन लाख बच्चे बीमार पड़ गए थे. आरोप था कि दूध पाउडर में मेलामाइन नामक रसायन मिलाया गया ताकि इसमें प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा दिखाई जा सके. इस घटना के कारण चीन में काफ़ी हंगामा हुआ था. साथ ही देश-विदेश में चीन की छवि पर भी धब्बा लगा था. इस पूरे मामले में सैनलू ग्रुप की चेयरवूमैन तियान वेन्हुआ के ख़िलाफ़ फ़ैसले पर लोगों की निगाह थी. सैनलू ग्रुप बच्चों के दूध पाउडर बनाने वाला सबसे बड़ा ग्रुप है.

वेन्हुआ ने घटिया और नकली उत्पाद तैयार करने और उन्हें बेचने के मामले में अपना दोष स्वीकार कर लिया था. शिजियाज़ुआंग की अदालत ने वेन्हुआ को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है जबकि ज़ांग युजुन और गेंग जिनपिंग को मौत की सज़ा सुनाई गई है. युजुन पर पूर्वी चीन के शांगडांग में एक ग़ैर क़ानूनी वर्कशॉप चलाने का आरोप था जिसमें 600 टन नकली प्रोटीन पाउडर तैयार किया जाता था. यह देश में मेलामाइन का सबसे बड़ा स्रोत था. युजुन के नकली प्रोटीन पाउडर को बेचने के आरोप में ज़ांग यान्ज़ांग को भी आजीवन कारावास की सज़ा मिली. दूसरी ओर जिनपिंग पर ये आरोप साबित हुआ कि उन्होंने ज़हरीली खाद्य सामग्री बनाई और इसे डेयरी कंपनियों को बेचा. जिनपिंग को मौत की सज़ा सुनाई गई. उनके सहयोगी गेंग जिन्ज़ू को आठ साल क़ैद की सज़ा मिली है.

पिछले कई सालों से भारत में भी दूध और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे मामलों की संख्या दिनों-दिन बढ़ते जाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि एक तो ग्राहक जल्दी शिकायत दर्ज नही कराते और अगर दर्ज करा भी दिया तो दोषी व्यक्ति अथवा कंपनी को कोई ख़ास कड़ी सजा नही मिल पाती है जिससे दुसरे लोग कुछ सबक ले सकें. चीन की अदालत का दोषियों को कड़ी सजा देने का फैसला निश्चित रूप से सराहनीय है. परन्तु मृत्यु दंड कुछ ज्यादा ही नही हो गया?

बहहाल, भारत सरकार को भी इससे कुछ सीख लेते हुए ऐसे मामलों में कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए। कुछ कड़े क़ानून बनाने चाहिए। हर जिले में एक निश्तित स्थान पर कम से कम एक कंज्यूमर फोरम की स्थापना होनी चाहिए ताकि ग्राहकों को शिकायत दर्ज कराने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े और देश के नागरिकों की स्वास्थ्य की रक्षा हो सके.

अब यह बात जग ज़ाहिर हो चुका हैं कि आतंकवाद और आतंकवादियों का सिवाय आतंक और दहशत फैलाने के अलावा और कोई धर्म नही होता। उन्हें किसी के विकास और समृद्धि से कोई लेना-देना नही है। आख़िर यह बात लोगों के समझ में कब आएगी? आतंकवाद को परास्त करने के लिए केवल भारत को ही नहीं बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कदम उठाने होंगे.

मुंबई में हुए हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान में मौजूद तत्वों को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था और माँग की थी जिन लोगों को भारत ज़िम्मेदार मानता है, उन्हें भारत को सौंपा जाए. नवंबर माह में हुए मुंबई हमलों में 170 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 300 घायल हो गए थे. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है. वैसे तो भारत ही नही पूरा विश्व आतंकवाद से जूझ रहा है, लेकिन चूँकि भारत सदा से शान्ति का पुजारी रहा है, और वो आगे भी विश्व समुदाय को शान्ति और अहिंसा का मार्ग दिखाता रहेगा। कुछ लोग इसे भारत की कमजोरी समझते हैं। पर हमारी सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए की विश्व समुदाय इसे भारत को अपनी कमजोरी के रूप न देखे। नही तो देश की स्थिति दिनों-दिन और भी बदतर होती जायेगी और आम जनता में भय और दहशत का माहौल व्याप्त हो जाएगा। लेकिन ऐसा लगता हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति मे ही कुछ कमी है।

यदि किसी देश की संस्था नीति के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देती है या फिर ऐसा देश अपनी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता को स्वीकार नहीं करता तो समस्या पेचीदा हो जाती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह ऐसे देशों की पहचान करे और विभिन्न प्रयासों से उन पर अंकुश लगाए.


People come into your life for a reason, a season or a lifetime.
When you know which one it is, you will know what to do for that person.
When someone is in your life for a REASON, it is usually to meet a need you
have expressed. They have come to assist you through a difficulty, to provide you with guidance and support, To aid you physically, emotionally or spiritually. They may seem like a godsend and they are. They are there for the reason you need them to be. Then, without any wrongdoing on your part or at an inconvenient time, This person will say or do something to bring the relationship to an end.
Sometimes they die. Sometimes they walk away.
Sometimes they act up and force you to take a stand.
What we must realize is that our need has been met, our desire fulfilled,
their work is done. The prayer you sent up has been answered and now it is time to move on.



Some people come into your life for a SEASON, because your turn has come
to share, grow or learn. They bring you an experience of peace or make you laugh.
They may teach you something you have never done.
They usually give you an unbelievable amount of joy.
Believe it, it is real. But only for a season.



LIFETIME relationships teach you lifetime lessons,
Things you must build upon in order to have a solid emotional foundation.
Your job is to accept the lesson,
Love the person and put what you have learned to use in all other
relationships and areas of your life. It is said that love is blind but friendship is clairvoyant.



Thank you for being a part of my life,
Whether you were a reason, a season or a lifetime.
Forward this to every friend that you have on-line,
Including the person who sent it to you.



0 Replies - you may need to work on your "people skills"
2 Replies - you are nice but probably need to be more outgoing
4 Replies - you have picked your friends well
6 Replies - you are downright popular
8 Replies or More - you are totally awesome

(and that's probably why you're on MY list)



I wonder what mine will be.


Ravi
…your friend


तुमने चाहा ही नही हालात बदल सकते थे...
तेरे आँसू मेरी आँखों से निकल सकते थे..
तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह..
दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे...



इश्क मुझको नही वहशत ही सही
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
हम भी दुश्मन तो नही हैं अपने
गैर को तुझ से मोहब्बत ही सही


हम कोई तर्क-ऐ-वफ़ा करते हैं
न सही इश्क मुसीबत ही सही ॥



कभी यूँ भी आ मेरी आँखों में
के मेरी नज़र को ख़बर न हो ,,
तुझे भूलने की दुआ करूँ,,
तो दुआ में मेरी असर न हो ।



मिला वो भी नही करते , मिला हम भी नही करते
वफ़ा वो भी नही करते , वफ़ा हम भी नही करते...
उन्हें रुसवाई का दुःख , हमे तन्हाई का डर,
गिला वो भी नही करते, शिकवा हम भी नही करते..
किसी मोड़ पर टकराव हो जाता है अक्सर,
रुका वो भी नही करते , ठहरा हम भी नही करते॥

With Spl.Thanks to Archana

हर फूल की अज़ब कहानी है,
चुप रहना ही प्यार की निशानी है,
कही कोई जख्म नही फिर भी,
ख़ुद दर्द का एहसास है,
लगता है दिल का एक टुकड़ा,
आज भी आप के पास है।

तुझे इश्क हो खुदा करे,

कोई तुझ को उस से जुद्दा करे।
तेरे होठ हँसना भी भूल जायें,
तेरी आँख पर नमी रहा करे।
तू उस की बातें सुना करे,
वो नज़र झुका कर चला करे।
तेरे ख्वाब बिखरें टूट कर,
तू किरची किरची चुना करे।
तू नगर नगर फिरा करे,
तू गली गली सदा करे।
मैं कहूँ इश्क ढोंग है,
तू नही नही कहा करे।

उन से दूर भला हम कैसे रह पाते…
दिल से उन्हें कैसे भुला पाते…
काश की वो सांसो के आलावा आईने में भी होते…
ख़ुद को भी देखते तो वो नज़र आते…

कुछ मीठे पल याद आते है…
पलकों पर आंसू छोड़ जाते है…
कल कोई और मिले तो हमें न भूल जाना…
कुछ अजनबी रिश्ते ज़िन्दगी भर काम आते है।

वो कौन है दुनिया में जिसे गम् नहीं होता,

किस घर में खुशी होती है, मातम नहीं होता,
ऐसे भी हैं दुनिया में जिन्हें गम नहीं होता,
एक हम हैं हमारा गम कभी कम नहीं होता।

तुझे अपना बनाना चाहता हूँ.
तेरे दुखों को अपनाना चाहता हूँ.
तेरे ख्यालों में खोना चाहता हूँ.
मेरी जान मैं तेरा होना चाहता हूँ.

लोग ढूँढें मुझे शहर शहर
तेरे दिल कि गलियों में खोना चाहता हूँ.
जुदाई मुझे सोने नही देती है अक्सर
तेरी जुल्फों कि छाँव में सोना चाहता हूँ.

हँसता रहता हूँ महफिल में यूँ ही मगर…
संग तेरी याद तन्हाई में रोना चाहता हूँ.
तुझे अक्सर सितारों में ढूंढता रहता हूँ
बन के चाँद तेरे पास आना चाहता हूँ

तू मेरी नही किसी और की है जाना...,
ये बता कर दिल को रुलाना चाहता हूँ.


गुज़र गयी रात आंखों आंखों में,
हो गयी मुलाक़ात आंखों आंखों में।
सदियों से प्यासी थी मोहब्बत,
हो गयी बरसात आंखों आंखों में।

मिल न सके थे दिल कभी दिल से,
हो गयी मुलाक़ात आंखों आंखों में।
एहादेवाफा और कसमों की भी,
हो गयी शुरुआत आंखों आंखों में।

दे दिया दिल एक दूजे को,


हो गयी सौगात आँखों आँखों में।

मेरी ज़िंदगी एक हसीन ख्वाब
ख़्वाबों से उभरी तुम एक हक़ीकत हो
तुमसे कितना प्यार है मुझे,
ये मैं कह नहीँ सकता।
तुम में मेरी साँसें तुम मेरी ज़रूरत हो
आँखों में तुम्हारी पाई हैं सारी खुशियाँ
तुम उन खुशियों से भी खूबसूरत हो।
रोशन है तुम्हारी अठखेलियों से मेरा आँगन
प्यार और सौम्यता की तुम मूरत हो
देखकर तुमको होता है रब पर विश्वास
तुम मुझे रब की दी हुई इबादत हो
तुम बिन कटता नहीँ एक पल मेरा
तुम मेरी लालिमा, तुम्ही मोहब्बत हो।
What is Love...???
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एक होती है पत्नी, एक होती है प्रेमिका. दोनों में ‘प’ अक्षर की समानता है. लेकिन ‘प’ में ‘र’ का जुड़ाव नहीं होता. शुरू में शायद होता हो जो विवाह के बाद नज़र नहीं आता.
अक्सर प्रेमी पति-पत्नी बनने के बाद प्रेमी नहीं रहते, ख़रीदी हुई जायदाद की तरह दोनों एक दूसरे के मालिक हो जाते हैं. दोनों एक-दूसरे की क़ानूनी जायदाद होते हैं. जिसमें तीसरे का दाखिला वर्जित होता है. समाज में भी, अदालतों में भी और नैतिकता के ग्रंथों में भी. वह आकर्षण जो शादी से पहले एक-दूसरे के प्रति नज़र आता है, वह कई बार के पहने हुए वस्त्रों की तरह, बाद में मद्धिम पड़ जाता है.

मानव के इस मनोविज्ञान से हर घर में शिकायत रहती है. कभी-कभी यह शिकायत मुसीबत भी बन जाती है. दूरियों से पैदा होने वाला रोमांस जब नजदीकियों के घेरे में आकर हकीक़त का रूप धर लेता है तो रिश्तों से सारी चमक-दमक उतार लेता है. फिर न पति आकाश से धरती पर आया उपहार होता है और न पत्नी का प्यार खुदाई चमत्कार होता है.

हिंदी कथाकार शानी की एक कहानी है, शीर्षक है ‘आखें’. इसमें ऐसे ही एक प्रेम विवाह में फैलती एकरसता को विषय बनाया गया है. दोनों पति-पत्नी बासी होते रिश्ते को ताज़ा रखने के लिए कई कोशिशें करते हैं. कभी सोने का कमरा बदलते हैं, कभी एक दूसरे के लिए गिफ्ट लाते हैं, कभी आधी रात के बाद चलने वाली अंग्रेज़ी फ़िल्मों की सीडी चलाते हैं....मगर फिर वही बोरियत...

अंत में कथा दोनों को एक पब्लिक पार्क मे ले जाती है, दोनों आमने-सामने मौन से बैठे रहते हैं. इस उकताहट को कम करने को पति सिगरेट लेने जाता है, मगर जब वापस आता है तो उसे यह देखकर हैरत होती है कि पत्नी से ज़रा दूर बैठा एक अजनबी उसकी पत्नी को उन्हीं चमकती आँखों से देख रहा होता है, जिनसे विवाह पूर्व वह कभी उस समय की होने वाली पत्नी को निहारता था...

अर्थशास्त्र का एक नियम है, वस्तु की प्राप्ति के बाद वस्तु की क़ीमत लगातार घटती जाती है. पास में पानी का जो महत्व होता है, प्यास बुझने के पश्चात वही पानी में उतनी कशिश नहीं रखता.

"पहले वह रंग थी
फिर रूप बनी
रूप से जिस्म में तब्दील हुई
और फिर...
जिस्म से बिस्तर बन के
घर के कोने में लगी रहती है
जिसको कमरे में घुटा सन्नाटा
वक़्त बेवक़्त उठा लेता है
खोल लेता है बिछा लेता है."...

Sabhar-Anjaan

जिंदगी हर पल खास नही होती,

फूलो की खुशबू हमेशा पास नही होती।

मिलना हमारी तकदीर में लिखा था,

वरना इतनी प्यारी दोस्ती कभी इत्तेफाक नही होती।

नव वर्ष की ढेर सारी शुभ कामनाओं के साथ ...

‘मेरी पत्रिका’ : www.meripatrika.co.cc
…Ravi Srivastava